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Shri 420

ऋषि कपूर (1952-2020) : बचपन, जवानी, बुढ़ापा, शो का पटाक्षेप

 कोमल और प्रेममयी स्वर में टीचर : राजू तुम यहाँ क्या कर रहे हो? किशोर लड़का : मैडम मैं सर के सामने कंफैशन कर रहा था, मैंने पाप किया है| कहकर लड़का बाहर जाने लगता है जिससे उसे अपनी टीचर... Continue Reading →

डार्लिंग आँखों से आँखें चार करने दो (7 Khoon Maaf 2011)

कौन है भारत में ऐसा जो हिन्दी सिनेमा के संगीत संसार में मौजूद नायाब खजाने से रुबरु हुआ हो और शोला जो भड़के दिल मेरा धड़के (अलबेला-1951) , मुड़ मुड़ के न देख (श्री 420 - 1955), मेरा नाम चिन... Continue Reading →

Raj Kapoor : राजू तारा कहीं भी तो नहीं खोया!

श्री 420  के एक गीत की एक पंक्ति है ” एक तारा न जाने कहाँ खो गया “। 14 दिसम्बर 1924 को जन्मे राज कपूर की भौतिक शरीर रुपी उपस्थिति तो जरुर 2 जून 1988 को धरा से विलीन हो... Continue Reading →

Jagte Raho (1956): न जागा है न जागेगा “भारत”

जागते रहो, पूर्वज फिल्म है जाने भी दो यारो और इस जैसी अन्य फिल्मों की। जागते रहो में जाने भी दो यारो की तरह स्पष्ट हास्य भले ही हर फ्रेम में बिखरा हुआ न हो पर जागते रहो का असर... Continue Reading →

जाने वाले मुड़ के (श्री 420) : राज कपूर की तकनीकी श्रेष्ठता

राज कपूर की इस सर्वश्रेष्ठ फिल्म के इस गीत के बोल लिखे थे हसरत जयपुरी ने। फिल्म में ऐसी परिस्थितियाँ बनती हैं कि नादिरा और नीमो द्वारा दी गयी पार्टी में राज कपूर, नरगिस को अपने साथ लेकर जाते हैं। वहाँ... Continue Reading →

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