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Cinema, Theatre, Music & Literature

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Vinay Pathak

राम प्रसाद की तेहरवीं (2019) : कोई किसी का नहीं, ये झूठे नाते हैं नातों का क्या

सीमा भार्गव (अब पाहवा) ने “बड़की” के चरित्र में जिस क्रांतिकारी धारावाहिक “हम लोग” में काम किया, उसके पीछे भारत के हिन्दी के एक बहुत बड़े लेखक मनोहर श्याम जोशी की विद्वता, समाज शास्त्र और विशेषकर भारतीय समाज की विशद... Continue Reading →

इरफ़ान (1966-2020) : चकाचौंध मचाता सितारा डूब गया गुलशन सारा उदास छोड़ कर

अच्छे सिनेमा की शक्ति मनुष्य के ऊपर ऐसी होती है कि जिस अंत के बारे में दर्शक निश्चित ही जानते हैं, उसके बारे में भी एक और बार फ़िल्म देखते हुये भावनाओं के वशीभूत होकर बदलाव की आशा रख बैठते... Continue Reading →

Mr Kabaadi (2017) :  भारत में काम होता बड़ा या छोटा, बनाता मनुष्य को चलता या खोटा

फ़िल्म के अंतिम दृश्य में कैमरे की ओर पीठ करे सड़क पर जा रहे रूहानी सुकून देने वाले इत्र और सुरमा प्रदानकर्ता छन्नू खान (ओम पुरी) अचानक पलटते हैं और कैमरे की मार्फ़त अभिनेता ओम पुरी दर्शकों से मुखातिब होते... Continue Reading →

Chalo Dilli (2011) : इंडिया का भारत भ्रमण

एक समय तक भारत के हरेक विद्यार्थी को सामान्य ज्ञान की परीक्षाओं में भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े दो प्रश्न काफी परेशान करते थे (शायद अभी भी करते हों)। सवाल थे - दिल्ली चलो का नारा किसने दिया था।... Continue Reading →

Partition (2007) : भारत के हिंसक विभाजन में जन्मी प्रेमकथा

एक ही विषय पर दो लेखक अलग-अलग कहानियाँ लिख सकते हैं। एक ही कहानी पर दो पटकथा लेखक भिन्न लगने वाली पटकथायें तैयार कर सकते हैं। एक ही विषय पर दो निर्देशक अलग प्रतीत होने वाली फिल्में बना सकते हैं।... Continue Reading →

Murder Unveiled (2006) : Indo-Canadian Honour Killing

बुरे विचार, बुरे संस्कार और झूठी शानो-शौकत के भुलावे सात संमुदर पार भी पीछा नहीं छोड़ा करते। वे सब मनुष्य के साथ इस तरह स्थायी पैरहन की तरह चिपके रहते हैं जैसे कर्ण के साथ उसके कवच और कुंडल। दूसरे... Continue Reading →

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