कल्पना कीजिये कि एक युवक की प्रेमिका परिस्थितिवश उसकी माँ बन जाये तो क्या हो? ऐसे रिश्ते से उपजे जटिल समीकरण को सुलझाने के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित दक्षिण और हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक एल वी... Continue Reading →
लता मंगेशकर भारत के पिछले सत्तर- अस्सी सालों के इतिहास का सबसे गौरवमयी नाम हैं जिन्होंने सामान्यजन तक बड़ी आसानी से संगीत कला की उंचाई पहुंचाई है| वे पूरे भारत, विश्व भर में फैले भारतीयों और भारतीय उपमहाद्वीप में बसने... Continue Reading →
क्या दिलीप कुमार और भारत रत्न के बीच कुछ फासले हैं? यह तो सर्वत्र स्वीकृत बात है कि हिन्दी सिनेमा में नायक की भूमिकाएं निभाने वाले अभिनेताओं में वे चुनींदा सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में से एक रहे हैं बल्कि हिन्दी सिने... Continue Reading →
...[राकेश] ©
पुस्तक संगीत के सामान्य श्रोता को यह आसान ढंग से संगीत के शास्त्रीय तत्वों की जानकारी उपलब्ध करा देती है और गीतों के नोटेशन्स और लता के गायन की बारीकियों को उजागर करके संगीत के पारखी श्रोताओं को भी ज्ञान... Continue Reading →
रमैय्या वस्तावैया, रमैय्या वस्तावैया मैंने दिल तुझको दिया, मैंने दिल तुझको दिया ओ रमैय्या वस्तावैया, रमैय्या वस्तावैया नैनों में थी प्यार की रौशनी तेरी आँखों में ये दुनियादारी न थी तू और था, तेरा दिल और था तेरे मन में... Continue Reading →
...[राकेश]
किसी भी गीत को उम्दा बनाने के लिये संगीतकार, गायक और गीतकार तीनों के बेहतरीन योगदान की जरुरत होती है और किसी एक का भी योगदान कमतर हो तो गीत की गुणवत्ता और आयु कम हो जाती है। तीनों में... Continue Reading →
सत्तर के दशक में बासु दा बहुत तेज रफ्तार से फिल्में बनाते थे और उनकी उस दौरान बनायी गयी फिल्मों की गुणवत्ता सराहनीय है। सत्तर के दशक की उनकी फिल्में बार बार देखी जाती हैं और तब भी न तो... Continue Reading →
उमा (जया भादुड़ी) अपने पति सुबीर (अमिताभ बच्चन) को घर ले जाने के लिये सुबीर की दोस्त चित्रा (बिन्दु) के घर आती हैं। उमा और सुबीर की शादी के स्वागत समारोह के बाद यह उमा और चित्रा की दूसरी ही... Continue Reading →
राज कपूर की इस सर्वश्रेष्ठ फिल्म के इस गीत के बोल लिखे थे हसरत जयपुरी ने। फिल्म में ऐसी परिस्थितियाँ बनती हैं कि नादिरा और नीमो द्वारा दी गयी पार्टी में राज कपूर, नरगिस को अपने साथ लेकर जाते हैं। वहाँ... Continue Reading →
यह गीत हृषिकेष मुखर्जी की फिल्म फिर कब मिलोगी (1974) का है। इसे लिखा था मजरूह सुल्तानपुरी ने और संगीतबद्ध किया था आर.डी.बर्मन/पंचम ने। फिल्म में यह यह गीत दो बार आता है। पहली बार यह एकल गीत के रुप... Continue Reading →
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